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6) हाईस्कूल का परिणाम ( यादों के झरोके से )



शीर्षक = हाईस्कूल का परिणाम




एक बार फिर  हाजिर हूँ, आप सब के साथ अपनी यादों के पिटारे को लेकर तो आइये इस यादों के पिटारे को खोल कर उस हसीन लम्हें का आंनद लेते है जो अब याद बन कर रह गया है ।



ये बात है  2012 की जब हम दसवीं कक्षा में थे , हम और हमारे अन्य साथी जिन्होंने कक्षा 9 में हमारे साथ  विज्ञान की शाखा  में प्रवेश लिया था, हमारा स्कूल जो की एक सरकारी स्कूल था  और हमारा बोर्ड उत्तर प्रदेश बोर्ड था, जिसके चलते हमें कक्षा 9 में ही अपनी शाखा का चयन करना था, की हमें किस शाखा में जाना है कला, कॉमर्स  या फिर विज्ञान

हमारी विज्ञान में बहुत रूची थी और आज भी है  इसलिए  हमने कक्षा 9 में ही विज्ञान की शाखा का चयन कर बहुत अच्छे नंबर से कक्षा 9 पास करके 2012 में कक्षा 10 में दाखिला लिया


हाईस्कूल, जो की शिक्षा के क्षेत्र में पहला पायदान है  और जिसमे अच्छे अंको से पास होना बेहद ज़रूरी है , कक्षा 10 में आते ही सब बच्चों को गंभीरता से पढ़ाई पर ध्यान देना होता है, क्यूंकि हाईस्कूल की कॉपीया बहुत बारीकी से अनुभवी अध्यपकों की निगरानी में जांची जाती है इसलिए किसी भी तरह की ढील आपको इस पायदान से नीचे गिरा सकती है 


और आपका पूरा एक साल और उसमे की गयी मेहनत, पैसा सब बर्बाद हो सकता है , यही सब सोच विचार करते हुए  अपने बड़ो के द्वारा हाईस्कूल के बारे में बताई गयी बातों को मद्दे नज़र रखते हुए  हमने भी जी तोड़ मेहनत की,


सुबह 6 बजे के उठे हुए  शाम को ही घर में घुसते थे , और उसके बाद दोबारा से पढ़ाई में लग जाते थे , कहने को घर वालों का कोई दबाव नही था हमारी पढ़ाई को लेकर लेकिन फिर भी  हमें स्वयं से ही पढ़ने का बेहद शोक था  जिसके चलते  बिना उनके कहे हम किताबों में ही घुसे रहते थे 

उस समय हमारे  पास दसवीं में कुल मिलाकर 6 विषय थे  जो इस प्रकार थे  हिंदी, इंग्लिश, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और हमारी पसंदीदा  कला 

इन 6 विषयो को हमें खुद से और अध्यापको की सहायता से पढ़ना था, जैसा की हमने बताया की हमारा स्कूल एक सरकारी स्कूल था  जिस कारण उसमे पढ़ाई से ज्यादा मस्ती होती थी , क्यूंकि उसमे बहुत ज्यादा अध्यापक नही थे  लेकिन जो भी थे बहुत ही अनुभवी थे  जिस कारण हमें स्वयं से और कोचिंग की सहायता से ही खुद को इस काबिल बनना था ताकि हम अच्छे अंको से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर सके 


देखते ही देखते कब समय गुज़रा पता ही नहीं चला और परीक्षाएं आन पहुंची , हाईस्कूल और बारहवीं की परीक्षा में सबसे बड़ी चिंता परीक्षा केंद्र की होती है, लड़कियों का तो स्थायी रहता है  लेकिन लड़को को गिरते पड़ते, दोस्त  के साथ तो कभी रिक्शा पर परीक्षा केंद्र जाना पड़ता है क्यूंकि उन्हे दुसरे स्कूल भेज दिया जाता है परीक्षा के लिए , उनके जीवन में पहले से ही बहुत संघर्ष लिखा होता है इसलिए परीक्षा वाले भी उन्हे किसी दुसरे स्कूल भेज देते है एग्जाम देने के लिए


खेर छोड़िये ये तो एक मज़ाक की बात थी , परीक्षा का पहला दिन बहुत ही डरे हुए थे हम , क्यूंकि पहला पेपर गणित का था  वो तो शुक्र था की हमारा परीक्षा केंद्र किसी दुसरे शहर या गांव में नहीं था  बल्कि हमारे ही शहर में बने एक दुसरे स्कूल में था 


धीरे धीरे सारे पेपर अच्छे से हो गए , आज भी मेरे पास दसवीं के सारे पेपर यादों के संदूक में हिफाज़त से रखे हुए है , जब भी मन करता है  उन्हे देख कर पुरानी यादें ताज़ा हो जाती है 


अब समय था परीक्षा के परिणाम  का जो की जून के महीने की 8 तारीख़ को शुक्रवार के दिन आना था , सब बच्चें डरे हुए थे और मैं तो कुछ ज्यादा ही, शायद इसलिए एक दिन पहले से ही मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था  ना ही खाना और ना ही सोना और किसी से बात करना, मुझे तो बस शुक्रवार का इंतज़ार था ,

हमारे समय में एक आसानी हो गयी थी, की हमें परीक्षा का परिणाम देखने के लिए शाम को प्रकाशित होने वाले अख़बार का इंतज़ार करना नहीं पड़ा , हमारा परिणाम कंप्यूटर पर बआसानी देखा जा सकता था, दोपहर 12 बजे के बाद


इसलिए हम सुबह ही नहा धोकर , कुरता पायजामा पहन कर, नमाज़ के लिए तैयार हो गए  ताकि अपने अच्छे अंको के लिए खुदा से गुहार लगा सके  सुना और देखा भी है की दुआ में बहुत ताकत होती है 


आखिर कार वो घड़ी आ ही गयी जिसका मुझे और मेरे दोस्तों को इंतज़ार था ,12 बज चुके थे  उधर थोड़ी देर बाद नमाज़ का भी समय हो गया था  इसलिए पहले नमाज़ अदा की उसके बाद जाकर परिणाम देखा  जिस तरह की उम्मीद थी वैसा ही परिणाम था, साल भर की मेहनत कामयाब हुयी और हम प्रथम श्रेणी में पास हो गए  और हमारे साथ के सब बच्चे भी पास हो गए , सब बेहद खुश थे ,

घर वालों ने और तरक्की करने की दुआ दी, उसके बाद की छुट्टियां बहुत अच्छे से गुज़री और फिर जुलाई में हमने 11 वी में दाखिला ले लिया


ऐसे ही अन्य यादगार लम्हों को मेरी ज़ुबानी पढ़ने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ जब तक के लिए  अलविदा 

यादों के झरोके से 

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6 Comments

shweta soni

09-Dec-2022 07:41 PM

बहुत सुंदर 👌

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Parangat Mourya

08-Dec-2022 06:02 PM

Behtreen 🙏👌

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Muskan khan

07-Dec-2022 07:08 PM

Superb 👌

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